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बीएनएसएस
अध्याय 26 जांचों...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता
(बीएनएसएस)
अध्याय 26: जांचों तथा विचारणों के बारे में साधारण उपबंध
धारा 337
एक बार दोषसिद्ध या दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का उसी अपराध के लिए विचारण न किया जाना
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धारा 338
लोक अभियोजकों द्वारा उपस्थिति
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धारा 339
अभियोजन का संचालन करने की अनुज्ञा
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धारा 340
वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध कार्यवाही स्थित की गई है उसका प्रतिरक्षा कराने का अधिकार
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धारा 341
कुछ मामलों में अभियुक्त को राज्य के व्यय पर विधिक सहायता
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धारा 342
प्रक्रिया, जब निगम या रजिस्ट्रीकृत सोसाइटी अभियुक्त है
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धारा 343
सह-अपराधी को क्षमा-दान
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धारा 344
क्षमा-दान का निदेश देने की शक्ति
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धारा 345
क्षमा की शर्तों का पालन न करने वाले व्यक्ति का विचारण
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धारा 346
कार्यवाहियों को स्थगित आस्थगित करने की शक्ति
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धारा 347
स्थानीय निरीक्षण
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धारा 348
आवश्यक साक्षी को समन करने या उपस्थित व्यक्ति की परीक्षा करने की शक्ति
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धारा 349
नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख देने के लिए किसी व्यक्ति को आदेश देने की मजिस्ट्रेट की शक्ति
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धारा 350
परिवादियों और साक्षियों के व्यय
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धारा 351
अभियुक्त की परीक्षा करने की शक्ति
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धारा 352
मौखिक बहस और बहस का ज्ञापन
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धारा 353
अभियुक्त व्यक्ति का सक्षम साक्षी होना
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धारा 354
प्रकटन उत्प्रेरित करने के लिए किसी प्रभाव का काम में नहीं लाया जाना
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धारा 355
कुछ मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में जांच और विचारण किए जाने के लिए उपबंध
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धारा 356
उद्घोषित अपराधी की अनुपस्थिति में जांच, विचारण या निर्णय
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धारा 357
प्रक्रिया जहां अभियुक्त कार्यवाहियों को नहीं समझता है
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धारा 358
अपराध के दोषी प्रतीत होने वाले अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की शक्ति
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धारा 359
अपराधों का शमन |
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धारा 360
अभियोजन वापस लेना
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धारा 361
जिन मामलों का निपटारा मजिस्ट्रेट नहीं कर सकता, उनमें प्रक्रिया
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धारा 362
प्रक्रिया जब जांच या विचारण के प्रारंभ के पश्चात् मजिस्ट्रेट को पता चलता है कि मामला सुपुर्द किया जाना चाहिए
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धारा 363
सिक्के, स्टाम्प विधि या संपत्ति के विरुद्ध अपराधों के लिए पूर्व में दोषसिद्ध व्यक्तियों का विचारण
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धारा 364
प्रक्रिया जब मजिस्ट्रेट पर्याप्त कठोर दंड का आदेश नहीं दे सकता
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धारा 365
भागत: एक मजिस्ट्रेट द्वारा और भागत: दूसरे मजिस्ट्रेट द्वारा अभिलिखित साक्ष्य पर दोषसिद्धि या सुपुर्दगी
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धारा 366
न्यायालयों का खुला होना
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