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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

(बीएनएसएस)

एक बार दोषसिद्ध या दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का उसी अपराध के लिए विचारण न किया जाना

अध्याय 26: जांचों तथा विचारणों के बारे में साधारण उपबंध

धारा: 337


(1) जिस व्यक्ति का किसी अपराध के लिए सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालय द्वारा एक बार विचारण किया जा चुका है और जो ऐसे अपराध के लिए दोषसिद्ध या दोषमुक्त किया जा चुका है, वह पुन: जब तक ऐसी दोषसिद्धि या दोषमुक्ति प्रवृत्त रहती है तब तक न तो उसी अपराध के लिए विचारण का भागी होगा और न उन्हीं तथ्यों पर किसी ऐसे अन्य अपराध के लिए विचारण का भागी होगा जिसके लिए उसके विरुद्ध लगाए गए आरोप से भिन्न आरोप धारा 244 की उपधारा (1) के अधीन लगाया जा सकता था या जिसके लिए वह उसकी उपधारा (2) के अधीन दोषसिद्ध किया जा सकता था। (2) किसी अपराध के लिए दोषमुक्त या दोषसिद्ध किए गए किसी व्यक्ति का विचारण, तत्पश्चात् राज्य सरकार की सम्मति से किसी ऐसे भिन्न अपराध के लिए किया जा सकेगा जिसके लिए पूर्वगामी विचारण में उसके विरुद्ध धारा 243 की उपधारा (1) के अधीन पृथक् आरोप लगाया जा सकता था। (3) जो व्यक्ति किसी ऐसे कार्य से बनने वाले किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध किया गया है, जो ऐसे परिणाम पैदा करता है जो उस कार्य से मिलकर उस अपराध से, जिसके लिए वह सिद्धदोष हुआ, भिन्न कोई अपराध बनाते हैं, उसका ऐसे अन्तिम वर्णित अपराध के लिए तत्पश्चात् विचा

The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.

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