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बीएसए
अध्याय 2 तथ्यों...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम
(बीएसए)
अध्याय 2: तथ्यों की सुसंगति
धारा 3
विवादयक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकेगा ।
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धारा 4
एक ही संव्यवहार के भाग होने वाले तथ्यों की सुसंगति ।
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धारा 5
वे तथ्य, जो विवाद्यक तथ्यों या सुसंगत तथ्यों के प्रसंग, हेतुक या परिणाम हैं ।
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धारा 6
हेतु, तैयारी और पूर्व का या पश्चात् का आचरण |
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धारा 7
विवादयक तथ्य या सुसंगत तथ्यों के स्पष्टीकरण या पुरःस्थापन के लिए आवश्यक तथ्य ।
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धारा 8
सामान्य परिकल्पना के बारे में षड़यंत्रकारी द्वारा कही गई या की गई बातें।
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धारा 9
वे तथ्य जो अन्यथा सुसंगत नहीं हैं कब सुसंगत हैं।
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धारा 10
रकम अवधारित करने के लिए न्यायालय को समर्थ करने की प्रवृति रखने वाले तथ्य नुकसानी के लिए वादों में सुसंगत हैं।
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धारा 11
जब कि अधिकार या रुढ़ि प्रश्नगत है, तब सुसंगत तथ्य।
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धारा 12
मन या शरीर की दशा या शारीरिक संवदेना का अस्तित्व दर्शित करने वाले तथ्य।
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धारा 13
कार्य आकस्मिक या साशय था इस प्रश्न पर प्रकाश डालने वाले तथ्य।
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धारा 14
कारबार के अनुक्रम का अस्तित्व कब सुसंगत है।
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धारा 15
स्वीकृति की परिभाषा |
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धारा 16
कार्यवाही के पक्षकार या उसके अभिकर्ता द्वारा स्वीकृति।
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धारा 17
उन व्यक्तियों द॒वारा स्वीकृतियां जिनकी स्थिति वाद के पक्षकारों के विरुदृध साबित की जानी चाहिए।
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धारा 18
वाद के पक्षकार द्वारा अभिव्यक्त रूप से निर्दिष्ट व्यक्तियों द्वारा स्वीकृतियां।
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धारा 19
स्वीकृतियों का उन्हें करने वाले व्यक्तियों के विरुदृध और उनके द्वारा या उनकी ओर से साबित किया जाना।
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धारा 20
दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु के बारे में मोँखिक स्वीकृतियां कब सुसंगत होती हैं।
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धारा 21
सिविल मामलों में स्वीकृतियां कब सुसंगत होती हैं।
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धारा 22
उत्प्रेरणा, धमकी, प्रपीड़न या वचन दूवारा कराई गई संस्वीकृति दाण्डिक कार्यवाही में कब विसंगत होती है।
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धारा 23
पुलिस अधिकारी से की गई संस्वीकृति ।
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धारा 24
साबित संस्वीकृति को, जो उसे करने वाले व्यक्ति और एक ही अपराध के लिए संयुक्त रूप से विचारित अन्य को प्रभावित करती है विचार में लेना।
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धारा 25
स्वीकृतियां निश्चायक सबूत नहीं हैं किंतु विबंध कर सकती हैं।
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धारा 26
वे दशाएं जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है, जो मर गया है या मिल नहीं सकता, इत्यादि।
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धारा 27
किसी साक्ष्य में कथित तथ्यों की सत्यता को पश्चातवर्ती कार्यवाही में साबित करने के लिए उस साक्ष्य की सुसंगति।
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धारा 28
लेखा-पुस्तकों की प्रविष्टियां कब सुसंगत हैं।
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धारा 29
कर्तव्य-पालन में की गई लोक अभिलेख या इलैक्ट्रानिकी अभिलेख की प्रविष्टियों की सुसंगति ।
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धारा 30
मानचित्रों, चार्टों और रेखांकों के कथनों की सुसंगति।
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धारा 31
किन्हीं अधिनियमों या अधिसूचनाओं में अन्तर्विष्ट लोक प्रकृति के तथ्य के बारे में कथन की सुसंगति।
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धारा 32
विधि की पुस्तकों मैं अन्तर्विष्ट किसी विधि के कथनों की सुसंगति, जिसके अंतर्गत इलैक्ट्रानिक या डिजिटल प्ररूप भी हैं ।
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धारा 33
कथन किसी बातचीत, दस्तावेज, इलैक्ट्रानिक अभिलेख, पुस्तक या पत्रों या कागज-पत्रों की आवली का भाग हो, तब क्या साक्ष्य दिया जाए।
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धारा 34
द्वितीय वाद या विचारण के वारणार्थ पूर्व निर्णय सुसंगत हैं।
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धारा 35
प्रोबेट इत्यादि विषयक अधिकारिता के किन्हीं निर्णयों की सुसंगति।
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धारा 36
धारा 35 में वर्णित से भिन्न निर्णयों, आदेशों या डिक्रियों की सुसंगति और प्रभाव।
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धारा 37
धारा 34, धारा 35 और धारा 36 में वर्णित से भिन्न निर्णय आदि कब सुसंगत हैं ।
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धारा 38
निर्णय अभिप्राप्त करने में कपट या दुस्संधि या न्यायालय की अक्षमता साबित की जा सकेगी।
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धारा 39
विशेषज्ञों की रायें ।
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धारा 40
विशेषज्ञों की रायों से संबंधित तथ्य।
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धारा 41
हस्तलेख और हस्ताक्षर के बारे मैं राय कब सुसंगत है।
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धारा 42
साधारण रूढ़ि या अधिकार के अस्तित्व के बारे में रायें कब सुसंगत हैं ।
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धारा 43
प्रथाओं, सिद्धान्तों आदि के बारे में राये कब सुसंगत हैं।
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धारा 44
नातेदारी के बारे में राय कब सुसंगत है।
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धारा 45
राय के आधार कब सुसंगत हैं।
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धारा 46
सिविल मामलों में अध्यारोपित आचरण साबित करने के लिए शील विसंगत है।
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धारा 47
दाण्डिक मामलों में पूर्वतन अच्छा शील सुसंगत है।
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धारा 48
कतिपय मामलों में शील या पूर्व लैंगिक अनुभव के साक्ष्य का सुसंगत न होना।
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धारा 49
उत्तर मैं होने के सिवाय पूर्वतन बुरा शील सुसंगत नहीं है।
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धारा 50
नुकसानी पर प्रभाव डालने वाला शील।
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