भारतीय साक्ष्य अधिनियम
(बीएसए)
अध्याय 2: तथ्यों की सुसंगति
धारा: 12
12. मन की कोई भी दशा जैसे आशय, ज्ञान, सद्भाव, उपेक्षा, उतावलापन किसी विशिष्ट व्यक्ति के प्रति वैमनस्य या सदिच्छा दर्शित करने वाले या शरीर की या शारीरिक संवेदना की किसी दशा का अस्तित्व दर्शित करने वाले तथ्य तब सुसंगत हैं, जब कि ऐसी मन की या शरीर की या शारीरिक संवेदन की किसी ऐसी दशा का अस्तित्व विवाद्य या सुसंगत है ।
स्पष्टीकरण 1—जो तथ्य इस नाते सुसंगत हैं कि वह मन की सुसंगत दशा के अस्तित्व को दर्शित करता है उससे यह दर्शित होना ही चाहिए कि मन की वह दशा साधारणतः नहीं, अपितु प्रश्नगत विशिष्ट विषय के बारे में, अस्तित्व में है ।
स्पष्टीकरण 2—किन्तु जब कि किसी अपराध के अभियुक्त व्यक्ति के विचारण में इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत उस अभियुक्त द्वारा किसी अपराध का कभी पहले किया जाना सुसंगत हो, तब ऐसे व्यक्ति की पूर्व दोषसिद्धियां भी सुसंगत तथ्य होंगी ।
दृष्टांत
(क) क चुराया हुआ माल यह जानते हुए कि वह चुराया हुआ है, प्राप्त करने का अभियुक्त है । यह साबित कर दिया जाता है कि उसके कब्जे में कोई विशिष्ट चुराई हुई चीज थी । यह तथ्य कि उसी समय उसके कब्जे में कई अन्य चुराई हुई चीजें थीं यह दर्शित करने की प्रवृत्ति रखने वाला होने के नाते सुसंगत है कि जो चीजें उसके कब्जे में थीं उनमें से हर एक और सब के बारे में वह जानता था कि वह चुराई हुई हैं ।
(ख) क पर किसी अन्य व्यक्ति को कूटकृत मुद्रा के कपटपूर्वक परिदान करने का अभियोग है, जिसे वह परिदान करते समय जानता था कि वह कूटकृत है । यह तथ्य कि उसके परिदान के समय क के कब्जे में वैसे ही दूसरे कूटकृत मुद्रा थीं, सुसंगत है । यह तथ्य कि क एक कूटकृत मुद्रा को, यह जानते हुए कि वह मुद्रा कूटकृत है, उसे असली के रूप में किसी अन्य व्यक्ति को परिदान करने के लिए पहले भी दोषसिद्ध हुआ था, सुसंगत है ।
(ग) ख के कुत्ते द्वारा, जिसका हिंस होना ख जानता था, किए गए नुकसान के लिए ख पर क वाद लाता है । ये तथ्य कि कुत्ते ने पहले, भ, म और य को काटा था और यह कि उन्होंने ख से शिकायतें की थीं, सुसंगत हैं ।
(घ) प्रश्न यह
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