भारतीय साक्ष्य अधिनियम
(बीएसए)
अध्याय 2: तथ्यों की सुसंगति
धारा: 26
26. सुसंगत तथ्यों के लिखित या मौखिक कथन, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा किए गए थे, जो मर गया है या मिल नहीं सकता है या जो साक्ष्य देने के लिए असमर्थ हो गया है या जिसकी हाजिरी इतने विलम्ब या व्यय के बिना उपाप्त नहीं की जा सकती, जितना मामले की परिस्थितियों में न्यायालय को अयुक्तियुक्त प्रतीत होता है, निम्नलिखित दशाओं में स्वयमेव सुसंगत है, अर्थात् :-
(क) जबकि वह कथन किसी व्यक्ति द्वारा अपनी मृत्यु के कारण के बारे में या उस संव्यवहार की किसी परिस्थिति के बारे में किया गया है जिसके फलस्वरूप उसकी मृत्यु हुई, तब उन मामलों में, जिनमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत हो । ऐसे कथन सुसंगत हैं चाहे उस व्यक्ति को, जिसने उन्हें किया है, उस समय जब वे किए गए थे मृत्यु की प्रत्याशंका थी या नहीं और चाहे उस कार्यवाही की, जिसमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत होता है, प्रकृति कैसी ही क्यों न हो ।
(ख) जबकि वह कथन ऐसे व्यक्ति द्वारा कारबार के मामूली अनुक्रम में किया गया था तथा विशेषत: जबकि वह, उसके द्वारा कारबार के मामूली अनुक्रम में या वृत्तिक कर्तव्य के निर्वहन में रखी जाने वाली पुस्तकों में उसके द्वारा की गई किसी प्रविष्टि या किए गए ज्ञापन के रूप में है या उसके द्वारा धन, माल, प्रतिभूतियों या किसी भी किस्म की सम्पत्ति की प्राप्ति की लिखित या हस्ताक्षरित अभिस्वीकृत है या वाणिज्य में उपयोग में आने वाली उसके द्वारा लिखित या हस्ताक्षरित किसी दस्तावेज के रूप में है या किसी पत्र या अन्य दस्तावेज की तारीख के रूप में है, जो कि उसके द्वारा प्राय: दिनांकित, लिखित या हस्ताक्षरित की जाती थी ।
(ग) जबकि वह कथन उसे करने वाले व्यक्ति के धन सम्बन्धी या साम्पत्तिक हित के विरुद्ध है या जबकि, यदि वह सत्य हो, तो उसके कारण उस पर दाण्डिक अभियोजन या नुकसानी का वाद लाया जा सकता है या लाया जा सकता था ।
(घ) जबकि उस कथन में उपयुक्त व्यक्ति की राय किसी ऐसे लोक अधिकार या रूढ़ि या लोक या साधारण हित के विषयों के अस्तित्व के बारे में है, जिसके अस्तित्व से, यदि वह अस्तित्व में होता तो उससे उस व्यक्ति का अवगत होना सम्भाव्य
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