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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

(बीएनएसएस)

संस्वीकृतियों और कथनों को अभिलिखित करना।

अध्याय 13: पुलिस को सूचना और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियां

धारा: 183


(1) जिले का कोई मजिस्ट्रेट, जिसमें किसी अपराध के किए जाने के बारे में सूचना रजिस्ट्रीकृत की गई है, चाहे उसे मामले में अधिकारिता प्राप्त हो या न हो, इस अध्याय के अधीन या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन किसी अन्वेषण के दौरान या तत्पश्चात्‌ किन्तु जांच या विचारण प्रारंभ होने के पूर्व किसी समय उसके द्वारा की गई किसी संस्वीकृति या कथन को अभिलिखित कर सकता है:

परंतु इस उपधारा के अधीन की गई कोई संस्वीकृति या कथन अपराध के अभियुक्त व्यक्ति के अधिवक्ता की उपस्थिति में श्रव्य-दृश्य इलैक्ट्रानिक साधनों के माध्यम से भी अभिलिखित किया जा सकेगा:

परंतु यह और कि किसी पुलिस अधिकारी द्वारा, जिसे तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन मजिस्ट्रेट की कोई शक्ति प्रदत्त की गई है, कोई संस्वीकृति अभिलिखित नहीं की जाएगी।

(2) मजिस्ट्रेट किसी ऐसी संस्वीकृति को अभिलिखित करने के पूर्व उस व्यक्ति को, जो संस्वीकृति कर रहा है, यह समझाएगा कि वह ऐसी संस्वीकृति करने के लिए आबद्ध नहीं है और यदि वह ऐसा करता है तो वह उसके विरुद्ध साक्ष्य में उपयोग में लाई जा सकती है; और मजिस्ट्रेट कोई ऐसी संस्वीकृति तब तक अभिलिखित न करेगा जब तक उसे करने वाले व्यक्ति से प्रश्न करने पर, उसके पास यह विश्वास करने का कारण न हो कि वह स्वेच्छा से की जा रही है।

(3) संस्वीकृति अभिलिखित किए जाने से पूर्व यदि मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होने वाला व्यक्ति यह कथन करता है कि वह संस्वीकृति करन

The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.

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