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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

(बीएनएसएस)

जहां भूमि या जल से संबंधित विवादों से परिशांति भंग होना संभाव्य है वहां प्रक्रिया।

अध्याय 11: लोक व्यवस्था और प्रशांति बनाए रखना

धारा: 164


(1) जब कभी किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट का, पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट से या अन्य सूचना पर समाधान हो जाता है कि उसकी स्थानीय अधिकारिता के भीतर किसी भूमि या जल या उसकी सीमाओं से संबद्ध ऐसा विवाद विद्यमान है, जिससे परिशांति भंग होना संभाव्य है, तब वह अपना ऐसा समाधान होने के आधारों का कथन करते हुए और ऐसे विवाद से संबद्ध पक्षकारों से यह अपेक्षा करते हुए लिखित आदेश देगा कि वे विनिर्दिष्ट तारीख और समय पर स्वयं या अधिवक्ता द्वारा उसके न्यायालय में उपस्थित हों और विवाद की विषयवस्तु पर वास्तविक कब्जे के तथ्य के बारे में अपने-अपने दावों का लिखित कथन प्रस्तुत करें।

(2) इस धारा के प्रयोजनों के लिए “भूमि या जल” पद के अंतर्गत भवन, बाजार, मीनक्षेत्र, फसलें, भूमि की अन्य उपज और ऐसी किसी संपत्ति का किराया या लाभ भी हैं।

(3) इस आदेश की एक प्रति की तामील इस संहिता द्वारा समनों की तामील के लिए उपबंधित रीति से ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों पर की जाएगी, जिन्हें मजिस्ट्रेट निदेशित करे और कम से कम एक प्रति विवाद की विषयवस्तु पर या उसके निकट किसी सहजदृश्य स्थान पर लगाकर प्रकाशित की जाएगी।

(4) मजिस्ट्रेट तब विवाद की विषयवस्तु को पक्षकारों में से किसी के भी कब्जे में रखने के अधिकार के गुणागुण या दावे के प्रति निर्देश किए बिना उन कथनों का, जो ऐसे प्रस्तुत किए गए हैं, परिशीलन करेगा, पक्षकारों को सुनेगा और ऐसा सभी साक्ष्य लेगा ज

The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.

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