भारतीय न्याय संहिता
(बीएनएस)
अध्याय 17: सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में
धारा: 318
318. (1) जो कोई किसी व्यक्ति से प्रवंचना कर उस व्यक्ति को, जिसे इस प्रकार प्रबंचित किया गया है, कपटपूर्वक या बेईमानी से उत्प्रेरित करता है कि वह कोई संपत्ति किसी व्यक्ति को परिदत्त कर दे, या यह सम्मति दे दे कि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को रख रखे या जानबूझकर उस व्यक्ति को, जिसे इस प्रकार प्रवंचित किया गया है, उत्प्रेरित करता है कि वह ऐसा कोई कार्य करे, या करने का लोप करे, जिसे वह यदि उसे प्रत्येक प्रकार प्रबंचित न किया गया होता तो, न करता, या करने का ल्रोप न करता, और जिस कार्य या लोप से उस व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, ख्याति संबंधी या साम्पत्तिक नुकसान या अपहानि कारित होती है, या कारित होनी सभ्भाव्य है, वह छल करता है, यह कहा जाता है । स्पष्टीकरण--तथ्यों का बेईमानी से छिपाना इस धारा के अर्थ के अंतर्गत प्रवंचना है ।
दृष्टांत
(क) क सिविल सेवा में होने का मिथ्या अपदेश करके जानबूझकर य से प्रवंचना करता है, और इस प्रकार बेईमानी से य को उत्प्रेरित करता है कि वह उसे उधार पर मात्र ले लेने दे, जिसका मूल्य चुकाने का उसका इरादा नहीं है । क छल करता है ।
(ख) क एक वस्तु पर कूटकृत चिहन बनाकर य से जानबूझकर प्रवंचना करके उसे यह विश्वास कराता है कि वह वस्तु किसी प्रसिद्ध विनिर्माता द्वारा बनाई गई है, और इस प्रकार उस वस्तु का क्रय करने और उसका मूल्य चुकाने के लिए य को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है । क छल करता है ।
(ग) क, य को किसी वस्तु का, नकली सैम्पल दिखलाकर य से जानब
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