Sanhita Logo

Sanhita.ai

भारतीय न्याय संहिता

(बीएनएस)

आपराधिक न्यासभंग के विषय में - 316. आपराधिक न्यासभंग ।

अध्याय 17: सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में

धारा: 316


316. (1) जो कोई, सम्पत्ति या सम्पत्ति पर कोई भी अखत्यार किसी प्रकार अपने को न्यस्त किए जाने पर उस सम्पत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग कर लेता है या उसे अपने उपयोग में संपरिवर्तित कर लेता है या जिस प्रकार ऐसा न्यास निर्वहन किया जाना है, उसको विहित करने वाली विधि के किसी निदेश का, या ऐसे न्यास के निर्वहन के बारे में उसके द्वारा की गई किसी अभिव्यक्त या विवक्षित वैध संविदा का अतिक्रमण करके बेईमानी से उस सम्पत्ति का उपयोग या व्ययन करता है, या जानबुझकर किसी अन्य व्यक्ति का ऐसा करना सहन करता है, वह आपराधिक न्यास भंग करता है ।

स्पष्टीकरण --जो व्यक्ति, किसी स्थापन का नियोजक होते हुए, चाहे वह स्थापन कर्मचारी भविष्य-निधि और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1952 की धारा 17 के अधीन छूट प्राप्त है या नहीं, तत्समय प्रवृत किसी विधि द्वारा स्थापित अविष्य-निधि या कुटुंब पैशन निधि में जमा करने के लिए कर्मचारी-अभिदाय की कटौती कर्मचारी को संदेय मजदूरी में से करता है उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसके द्वारा इस प्रकार कटौती किए गए अभिदाय की रकम उसे न्यस्त कर दी गई है और यदि वह उक्त निधि में ऐसे अभिदाय का संदाय करने में, उक्त विधि का अतिक्रमण करके व्यतिक्रम करेगा तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने यथापूर्वोक्त विधि के किसी निदेश का अतिक्रमण करके उक्त अभिदाय की रकम का बेईमानी से उपयोग किया है ।

स्पष्टीकरण 2--जो व्यक्ति, नियोजक होते हुए, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अधीन स्थापित कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा धारित और शासित कर्मचारी राज्य बीमा निगम निधि में जमा करने के लिए कर्मचारी को संदेय मजदूरी में से कर्मचारी- अभिदाय की कटौती करता है, उस

The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.

To read full content, please download our app

App Screenshot