Sanhita Logo

Sanhita.ai

भारतीय न्याय संहिता

(बीएनएस)

सम्पत्ति के आपराधिक दुर्विनियोग के विषय में - 314. सम्पत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग ।

अध्याय 17: सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में

धारा: 314


314. जो कोई बेईमानी से किसी जंगम सम्पत्ति का दुर्विनियोग करेगा या उसको अपने उपयोग के लिए संपरिवर्तित कर लेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम नहीं होगी किन्तु जो दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, दण्डित किया जाएगा ।

दृष्टान्त

(क) क, य की सम्पत्ति को उस समय जब कि क उस सम्पत्ति को लेता है, यह विश्वास रखते हुए कि वह सम्पत्ति उसी की है, य के कब्जे में से सदभावपूर्वक लेता है । क, चोरी का दोषी नहीं है । किन्तु यदि क अपनी भूल मालूम होने के पश्चात उस सम्पत्ति का बेईमानी से अपने लिए विनियोग कर लेता है, तो वह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।

(ख) क, जो य का मित्र है, य की अनुपस्थिति में य के पुस्तकालय में जाता है और य की अभिव्यकत सम्मत्ति के बिना एक पुस्तक ले जाता है । यहां यदि, क का यह विचार था कि पढ़ने के प्रयोजन के लिए पुस्तक लेने की उसको य की विवक्षित सम्मति प्राप्त है, तो क ने चोरी नहीं की है । किन्तु यदि क बाद में उस पुस्तक को अपने फायदे के लिए बेच देता है, तो वह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।

(ग) क और ख एक घोड़े के संयुक्त स्वामी हैं । क उस घोड़े को उपयोग में लाने के आशय से ख के कब्जे में से उसे ले जाता है । यहां, क को उस घोड़े को उपयोग में लाने का अधिकार है, इसलिए वह उसका बेईमानी से दुर्विनियोग नहीं है । किन्तु यदि क उस घोड़े को बेच देता है, और सम्पूर्ण आगम का अपने लिए विनियोग

The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.

To read full content, please download our app

App Screenshot