भारतीय न्याय संहिता
(बीएनएस)
अध्याय 17: सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में
धारा: 308
308. (1) जो कोई किसी व्यक्ति को स्वयं उस व्यक्ति को या किसी अन्य व्यक्ति को कोई क्षति करने के भय में जानबूझकर डालता है, और तदद्वारा इस प्रकार भय में डाले गए व्यक्ति को, कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति या हस्ताक्षरित या मुद्रांकित कोई चीज, जिसे मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित किया जा सके, किसी व्यक्ति को परिदत करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करता है, वह उद्दापन करता है ।
दृष्टांत
(क) क यह धमकी देता है कि यदि य ने उसको धन नहीं दिया, तो वह य के बारे में मानहानिकारक अपमानलेख प्रकाशित करेगा । अपने को धन देने के लिए वह इस प्रकार य को उत्प्रेरित करता है । क ने उद्दापन किया है ।
(ख) क, य को यह धमकी देता है कि यदि वह क को कुछ धन देने के संबंध में अपने आपको आबद्ध् करने वाला एक वचनपत्र हस्ताक्षरित करके क को परिदत नहीं कर देता, तो वह य के बालक को सदोष परिरोध में रखेगा । य वचनपत्र हस्ताक्षरित करके परिदत्त कर देता है । क ने उद्दापन किया है ।
(ग) क यह धमकी देता है कि यदि य, ख को कुछ उपज परिदत कराने के लिए शास्तियुक्त बंधपत्र हस्ताक्षरित नहीं करेगा और ख़ को न देगा, तो वह य के खेत को जोत डालने के लिए लठैत भेज देगा और तद्द्वारा य को वह बंधपत्र हस्ताक्षरित करने के लिए
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