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भारतीय साक्ष्य अधिनियम

(बीएसए)

न्यायालय किन्हीं तथ्यों का अस्तित्व उपधारित कर सकेगा |

अध्याय 7: सबूत के भार के विषय में

धारा: 119


119. (1) न्यायालय ऐसे किसी तथ्य का अस्तित्व उपधारित कर सकेगा जिसका घटित होना उस विशिष्ट मामले के तथ्यों के सम्बन्ध में प्राकृतिक घटनाओं, मानवीय आचरण तथा लोक और प्राइवेट कारबार के सामान्य अनुक्रम को ध्यान में रखते हुए वह सम्भाव्य समझता है ।

दृष्टांत

न्यायालय उपधारित कर सकेगा कि,--

(क) चुराए हुए माल पर जिस मनुष्य का चोरी के शीघ्र उपरान्त कब्जा है, जब तक कि वह अपने कब्जे का कारण न बता सके, या तो वह चोर है या उसने माल को चुराया हुआ जानते हुए प्राप्त किया है;

(ख) सहअपराधी विश्वसनीयता के अयोग्य है, जब तक तात्विक विशिष्टियों में उसकी सम्पुष्टि नहीं होती;

(ग) कोई प्रतिगृहीत या पृष्ठांकित विनिमयपत्र समुचित प्रतिफल के लिए प्रतिगृहीत या पृष्ठांकित किया गया था;

(घ) ऐसी कोई चीज या चीजों की दशा अब भी अस्तित्व में है, जिसका उतनी कालावधि से जितनी में ऐसी चीजें या चीजों की दशाएं प्राय: अस्तित्वशून्य हो जाती हैं, लघुतर कालावधि में अस्तित्व में होना दर्शित किया गया है;

(ड) न्यायिक और पदीय कार्य नियमित रूप से संपादित किए गए हैं;

(च) विशिष्ट मामलों में कारबार के सामान्य अनुक्रम का अनुसरण किया गया है;

(छ) यदि वह साक्ष्य जो पेश किया जा सकता था और पेश नहीं किया गया है, पेश किया जाता, तो उस व्यक्ति के अननुकूल होता, जो उसका विधारण किए हुए है;

(ज) यदि कोई मनुष्य ऐसे किसी प्रश्न का

The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.

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