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भारतीय साक्ष्य अधिनियम

(बीएसए)

मौखिक करार के साक्ष्य का अपवर्जन |

अध्याय 6: दस्तावेजी साक्ष्य द्वारा मौखिक साक्ष्य के अपवर्जन के विषय में

धारा: 95


95. जबकि किसी ऐसी संविदा, अनुदान या सम्पत्ति के अन्य व्ययन के निबन्धनों को, या किसी बात को, जिसके बारे में विधि दवारा अपेक्षित है कि वह दस्तावेज के रूप में लेखखद्ध की जाए, धारा 94 के अनुसार साबित किया जा चुका हो, तब किसी ऐसी लिखत के पक्षकारों या उनके हित प्रतिनिधियों के बीच के किसी माँखिक करार या कथन का कोई भी साक्ष्य उसके निबन्धनों का खण्डन करने के या उनमें फेरफार करने के याजोड़ने के या उनमें से घटाने के प्रयोजन के लिए ग्रहण न किया जाएगा :

परन्तु ऐसा कोई तथ्य साबित किया जा सकेगा, जो किसी दस्तावेज को अविधिमान्य बना दे या जो किसी व्यक्ति को तत्सम्बन्धी किसी डिक्री या आदेश का हकदार बना दे, यथा कपट, अभित्रास, अवैधता, सम्यक निष्पादन का अभाव, किसी संविदाकारी पक्षकार में सामर्थ्य का अभाव, प्रतिफल का अभाव या निष्फलता या विधि की या तथ्य की भूल :

परन्तु यह और कि किसी विषय के बारे में, जिसके बारे में दस्तावेज मौन है और जो उसके निबन्धनों से असंगत नहीं है, किसी पृथक मौखिक करार या अस्तित्व साबित किया जा सकेगा | इस पर विचार करते समय कि यह परन्तुक लागू होता है या नहीं न्यायालय दस्तावेज की प्ररूपिता की मात्रा को ध्यान में रखेगा :

परन्तु यह भी कि ऐसी किसी संविदा, अनुदान या सम्पत्ति के व्ययन के अधीन कोई बाध्यता संलग्न होने की पुरोभाव्य शर्त गठित करने वाले किसी पृथक्‌ मौखिक करार का अस्तित्व साबित किया जा सकेगा :

परन्तु यह भी कि ऐसी किसी संविदा, अनुदान या सम्पत्ति के व्ययन को विखंडित या उपांतरित करने के लिए किसी सुभिनन पाश्चिक मौखिक करार का अस

The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.

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