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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

(बीएनएसएस)

सदाचरण की परिवीक्षा पर या भर्त्सना के पश्चात्‌ छोड़ देने का आदेश।

अध्याय 29: निर्णय

धारा: 401


(1) जब कोई व्यक्ति जो इक्कीस वर्ष से कम आयु का नहीं है केवल जुर्माने से या सात वर्ष या उससे कम अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध के लिए दोषसिद्ध किया जाता है या जब कोई व्यक्ति जो इक्कीस वर्ष से कम आयु का है या कोई महिला ऐसे अपराध के लिए, जो मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय नहीं है, दोषसिद्ध की जाती है और अपराधी के विरुद्ध कोई पूर्व दोषसिद्धि साबित नहीं की गई है तब, यदि उस न्यायालय को, जिसके समक्ष उसे दोषसिद्ध किया गया है, अपराधी की आयु, शील या पूर्ववृत्त को और उन परिस्थितियों को, जिनमें अपराध किया गया, ध्यान में रखते हुए यह प्रतीत होता है कि अपराधी को सदाचरण की परिवीक्षा पर छोड़ देना समीचीन है, तो न्यायालय उसे तुरन्त कोई दंडादेश देने के बजाय निदेश दे सकेगा कि उसे उसके द्वारा यह बंधपत्र या जमानतपत्र लिख देने पर छोड़ दिया जाए कि वह (तीन वर्ष से अनधिक) इतनी अवधि के दौरान, जितनी न्यायालय निदेशित करे, बुलाए जाने पर उपस्थित होगा और दंडादेश पाएगा और इस बीच परिशांति कायम रखेगा और सदाचारी बना रहेगा:

परन्तु जहां कोई प्रथम अपराधी किसी द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा, जो उच्च न्यायालय द्वारा विशेषतया सशक्त नहीं किया गया है, दोषसिद्ध किया जाता है और मजिस्ट्रेट की यह राय है कि इस धारा द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग किया जाना चाहिए वहां वह उस प्रभाव की अपनी राय अभिलिखित करेगा और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट को वह कार्यवाही निवेदित करेगा और उस अभियुक्त को उस मजिस्ट्रेट के पास भेजेगा या उसकी उस मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थिति के लिए जमानत लेगा और वह मजि

The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.

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