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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

(बीएनएसएस)

अन्वेषण या विचारण के लंबित रहने तक विकृतचित्त व्यक्ति का छोड़ा जाना

अध्याय 27: विकृतचित्त अभियुक्त व्यक्तियों के बारे में उपबंध

धारा: 369


(1) जब कभी कोई व्यक्ति धारा 367 या धारा 368 के अधीन चित्त-विकृति या बौद्धिक दिव्यांगता के कारण अपनी प्रतिरक्षा करने में असमर्थ पाया जाता है तब, यथास्थिति, मजिस्ट्रेट या न्यायालय, चाहे मामला ऐसा हो जिसमें जमानत ली जा सकती है या नहीं ली जा सकती है, ऐसे व्यक्ति को जमानत पर छोड़े जाने का आदेश देगा: परंतु अभियुक्त ऐसी चित्त-विकृति या बौद्धिक दिव्यांगता से ग्रस्त है जो अंतरंग रोगी उपचार के लिए समादेशित नहीं करती हो और कोई मित्र या नातेदार किसी निकटतम चिकित्सा सुविधा से नियमित बाहय रोगी मन:चिकित्सा उपचार कराने और उसे अपने आपको या किसी अन्य व्यक्ति को क्षति पहुंचाने से निवारित रखने का वचन देता है। (2) यदि मामला ऐसा है जिसमें, यथास्थिति, मजिस्

The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.

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