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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

(बीएनएसएस)

गलतियाँ का प्रभाव।

अध्याय 18: आरोप

धारा: 238


अपराध के या उन विशिष्टियों के, जिनका आरोप में कथन होना अपेक्षित है, कथन करने में किसी गलती को और उस अपराध या उन विशिष्टियों के कथन करने में किसी लोप को मामले के किसी प्रक्रम में तब ही तात्विक माना जाएगा, जब ऐसी गलती या लोप से अभियुक्त वास्तव में भ्रम में पड़ गया है और उसके कारण न्याय नहीं हो पाया है, अन्यथा नहीं।

दृष्टांत

(क) क पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 180 के अधीन यह आरोप है कि "उसने कब्जे में ऐसा कूटकृत सिक्का रखा है जिसे वह उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह कूटकृत है" और आरोप में "कपटपूर्वक" शब्द छूट गया। जब तक यह प्रतीत नहीं होता है कि क वास्तव में इस लोप से भुलावे में पड़ गया, इस गलती को तात्विक नहीं समझा जाएगा

The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.

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