भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता
(बीएनएसएस)
अध्याय 15: कार्यवाहियां शुरू करने के लिए अपेक्षित शर्ते
धारा: 219
(1) कोई न्यायालय भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 81 से धारा 84 (दोनों सहित) के अधीन दंडनीय अपराध का संज्ञान ऐसे अपराध से व्यथित किसी व्यक्ति द्वारा किए गए परिवाद पर ही करेगा, अन्यथा नहीं:
परंतु--
(क) जहां ऐसा व्यक्ति बालक है या विकृत्तचित्त है या बौद्धिक रूप से दिव्यांग ऐसा व्यक्ति है, जिसे उच्चतर सहायता की आवश्यकता है या रोग या अंग-शैथिल्य के कारण परिवाद करने के लिए असमर्थ है, या ऐसी महिला है, जो स्थानीय रूढ़ियों और रीतियों के अनुसार लोगों के सामने आने के लिए विवश नहीं की जानी चाहिए, वहां उसकी ओर से कोई अन्य व्यक्ति न्यायालय की इजाजत से परिवाद कर सकता है;
(ख) जहां ऐसा व्यक्ति पति है, और संघ के सशस्त्र बलों में से किसी में ऐसी परिस्थितियों में सेवा कर रहा है, जिनके बारे में उसके कमान अधिकारी ने यह प्रमाणित किया है कि उनके कारण उसे परिवाद कर सकने के लिए अनुपस्थिति छुट्टी प्राप्त नहीं हो सकती, वहां उपधारा (4) के उपबंधों के अनुसार पति द्वारा प्राधिकृत कोई अन्य व्यक्ति उसकी ओर से परिवाद कर सकता है;
(
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