भारतीय न्याय संहिता

(बीएनएस)

आपराधिक बल ।

अध्याय 6: मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषयों में

धारा: 129


129. जो कोई किसी व्यक्ति पर उस व्यक्ति की सम्मति के बिना बल का प्रयोग किसी अपराध को करने के लिए, या ऐसे बल के प्रयोग से कारित करने के आशय से, या ऐसे बल के प्रयोग से सम्भाव्यत: उस व्यक्ति को, जिस पर बल का प्रयोग किया गया है, को क्षति, भय या क्षोभ,कारित करेगा यह जानते हुए जानबूझकर करता है, इसे उस अन्य व्यक्ति पर आपराधिक बल का प्रयोग किया जाना कहा जाता है ।

दृष्टांत

(क) य नदी के किनारे रस्सी से बंधी हुई नाव पर बैठा है । क रस्सियों को उदबंधित करता है और उस प्रकार नाव को धार में जानबूझकर बहा देता है । यहां क, य को जानबूझकर गतिमान करता है, और वह ऐसा उन पदार्थों को ऐसी रीति से व्ययनित करके करता है कि किसी व्यक्ति की ओर से कोई अन्य कार्य किए बिना ही गति उत्पन्न हो जाती है । अतएव, क ने य पर बल का प्रयोग जानबूझकर किया है, और यदि उसने य की सम्मति के बिना यह कार्य कोई अपराध करने के लिए या यह आशय रखते हुए, या यह सम्भाव्य जानते हुए किया है कि ऐसे बल के प्रयोग से वह य को क्षति, भय या क्षोभ कारित करे, तो क ने य पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है ।

(ख) य एक रथ में सवार होकर चल्र रहा है । क, य के घोड़ों को चाबुक मारता है, और उसके द्वारा उनकी चाल को तेज कर देता है । यहां क ने जीव-जन्तुओं को उनकी अपनी गति परिवर्तित करने के ल

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