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भारतीय न्याय संहिता

(बीएनएस)

स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना ।

अध्याय 6: मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषयों में

धारा: 117


117. (1) जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करता है, यदि वह उपहति, जिसे कारित करने का उसका आशय है या जिसे वह जानता है कि उसके द्वारा उसका किया जाना सम्भाव्य है घोर उपहति है, और यदि वह उपहति, जो वह कारित करता है, घोर उपहति हो, तो वह 'स्वेच्छया घोर उपहति करता है", यह कहा जाता है ।

स्पष्टीकरण--कोई व्यक्ति स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, यह नहीं कहा जाता है सिवाय जबकि वह घोर उपहति कारित करता है और घोर उपहति कारित करने का उसका आशय हो या घोर उपहति कारित होना वह सम्भाव्य जानता हो । किन्तु यदि वह यह आशय रखते हुए या यह संभाव्य जानते हुए कि वह किसी एक किस्म की घोर उपहति कारित कर दे वास्तव में दूसरी

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