भारतीय न्याय संहिता
(बीएनएस)
अध्याय 6: मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषयों में
धारा: 111
111. (1) किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रूप में या ऐसे सिंडिकेट की और से एकल रूप से या संयुक्त रूप से सामान्य मति से कार्य करने वाले किसी व्यक्ति या व्यष्टियों के समूहों द्वारा कोई सतत् विधिविरूद्ध क्रियाकलाप, जिसमें व्यपहरण, डकैती, यान चोरी, उद्दापन, भूमि हथियाना, संविदा पर हत्या करना, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध, व्यक्तियों, औषधियों, हथियारों, अवैध माल या सेवाओं का दुर्व्यपार, वेश्यावृत्ति या फफिराती के लिए मानव दुर्व्यपार शामिल है, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तात्विक फायदा, जिसके अंतर्गत वित्तीय फायदा भी है, प्राप्त करने के लिए हिंसा, हिंसा की धमकी, अभिव्रास, उत्पीड़न या अन्य विधिविरूद्ध साधनों द्वारा संगठित अपराध का गठन करेगा ।
स्पष्टीकरण--इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए,-
(i) “संगठित अपराध सिंडिकेट" से दो या अधिक व्यक्तियों का समूह अभिप्रेत है जो एक सिंडिकेट या टोली के रूप में या तो अकेले या सामूहिक रूप से कृत्य करते हुए किसी सतत् विधि विरूद्ध क्रियाकलाप में लिप्त है ।
(ii) "सतत विधिविरूद्ध क्रियाकलाप" से विधि द्वारा प्रतिषिदूध ऐसा कृत्य अभिप्रेत है जो तीन या अधिक वर्ष के कारावास से दण्डनीय संजेय अपराध है, जो किसी व्यक्ति द्वारा या तो एकल या संयुक्त रूप से, किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रूप में या ऐसे सिंडिके
The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.