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भारतीय न्याय संहिता

(बीएनएस)

मानहानि ।

अध्याय 19: आपराधिक अभित्रास, अपमान, मानहानि, आदि के विषय में

धारा: 356


356. (1) जो कोई बोले गए या पढ़े जाने के लिए आशयित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा, या दृश्यरूपणों द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई लांछन इस आशय से लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि की जाए या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए लगाता या प्रकाशित करता है, ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि होगी, एतस्मिनपश्चात्‌ अपवादित दशाओं के सिवाय उसके बारे में कहा जाता है कि वह उस व्यक्ति की मानहानि करता है ।

स्पष्टीकरण 1--किसी मृत व्यक्ति को कोई लांछन लगाना मानहानि की कोटि में आ सकेगा यदि वह लांछन उस व्यक्ति की ख्याति की, यदि वह जीवित होता, अपहानि करता, और उसके परिवार या अन्य निकट सम्बन्धियों की आवनाओं को उपहत करने के लिए आशयित हो ।

स्पष्टीकरण 2--किसी कम्पनी या संगम या व्यक्तियों के समूह के सम्बन्ध में उसकी वैसी हैसियत में कोई लांछन लगाना मानहानि की कोटि में आ सकेगा ।

स्पष्टीकरण 3--अनुकल्प के रूप में, या व्यंगोक्ति के रूप में अभिव्यक्त लांछन मानहानि की कोटि में आ सकेगा ।

स्पष्टीकरण 4--कोई लांछन किसी व्यक्ति की ख्याति की अपहानि करने वाला नहीं कहा जाता जब तक कि वह लांछन दूसरों की दृष्टि में प्रत्यक्षत: या अप्रत्यक्षतः उस व्यक्ति के सदाचारिक या बौद्धिक स्वरूप को हेय न करे या उस व्यक्ति की जाति के या उसकी आजीविका के सम्बन्ध में उसके शील को हेय न करे या उस व्यक्ति की साख को नीचे न गिराए या यह विश्वास न कराए कि उस व्यक्ति का शरीर घृणोत्पादक दशा में है या ऐसी दशा में है जो साधारण रूप से निकृष्ट समझी जाती है ।

दृष्टांत

(क) क यह विश्वास कराने के आशय से कि य ने ख की घड़ी अवश्य चुराई है, कहता है, “य एक ईमानदार व्यक्ति है, उसने ख की घड़ी कभी नहीं चुराई है" । जब तक कि यह अपवादों में से किसी के अन्तर्गत न आता हो यह मानहानि है ।

(ख) क से पूछा जाता है कि ख की घड़ी किसने चुराई है । क यह विश्वास कराने के आशय से कि य ने ख की घड़ी चुराई है, य की ओर संकेत करता है जब तक कि यह अपवादों में से किसी के अन्तर्गत न आता हो, यह मानहानि है ।

(ग) क यह विश्वास कराने के आशय से कि य ने ख की घड़ी चुराई है, य का एक चित्र खींचता है जिसमें वह ख की घड़ी त्रेकर आग रहा है । जब तक कि यह अपवादों में से किसी के अन्तर्गत न आता हो, यह मानहानि है ।

अपवाद 1--किसी ऐसी बात का लांछन लगाना, जो किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में सत्य हो, मानहानि नहीं है, यदि यह लोक कल्याण के लिए हो कि वह लांछन लगाया जाए या प्रकाशित किया जाए । वह लोक कल्याण के लिए है या नहीं, यह तथ्य का प्रश्न है ।

अपवाद 2--उसके लोक कृत्यों के निर्वहन में लोक सेवक के आचरण के विषय में या उसके शीत के विषय में, जहां तक उसका शील उस आचरण से प्रकट होता हो, न कि उससे आगे, कोई राय, चाहे वह कुछ भी हो, सदभावपूर्वक अभिव्यक्त करना मानहानि नहीं है ।

अपवाद 3--किसी लोक प्रश्न के सम्बन्ध में किसी व्यक्ति के आचरण के विषय में, और उसके शील के विषय में, जहां तक कि उसका शील उस आचरण से प्रकट होता हो, न कि उससे आगे, कोई राय, चाहे वह कुछ भी हो, सदभवपूर्वक अभिव्यक्त करना मानहानि नहीं है ।

दृष्टांत

किसी लौक प्रश्न पर सरकार को अर्जी देने में, किसी लोक प्रश्न के लिए सभा बुलाने के

The language translation of this legal text is generated by AI and for reference only; please consult the original English version for accuracy.

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