भारतीय न्याय संहिता

(बीएनएस)

अश्लील पुस्तकों, आदि का विक्रय आदि ।

अध्याय 15: लोक स्वास्थ्य, क्षेम, सुरक्षा, शिष्टता और सदाचार पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में

धारा: 294


294. (1) उपधारा (2) के प्रयोजनों के लिए, किसी पुस्तक, पुस्तिका, कागज, लेख, रैखाचित्र, रंगचित्र, रूपण, आकृति या अन्य वस्तु जिसके अंतर्गत इलेक्ट्रानिक प्ररुप में किसी अंतर्वस्तु का प्रदर्शन भी है, को अश्लील समझा जाएगा यदि वह कामोद्दीपक है या कामुक व्यक्तियों के लिए रुचिकर है या उसका या (जहां उसमें दो या अधिक सुभिन्न मदें समाविष्ट हैं वहां) उसकी किसी मद का प्रभाव, समग्र रूप से विचार करने पर, ऐसा है जो उन व्यक्तियों को दुराचारी तथा भ्रष्ट बनाए जिसके द्वारा उसमें अन्तर्विष्ट या सन्निविष्ट विषय का पढ़ा जाना, देखा जाना या सुना जाना सभी सुसंगत परिस्थितियों को ध्यान में रखते हए सम्भाव्य है ।

(2) जो कोई-- (क) किसी अश्लील पुस्तक, पुस्तिका, कागज, रेखाचित्र, रंगचित्र, रूपण या आकृति या किसी भी अन्य अश्लील वस्तु को, चाहे वह किसी भी रीतियों में कुछ भी हो, बेचेगा, भाड़े पर देगा, वितरित करेगा, लोक प्रदर्शित करेगा, या उसको किसी भी प्रकार परिचालित करेगा, या उसे विक्रय, भाड़े, वितरण, लोक प्रदर्शन या परिचालन के प्रयोजनों के लिए रचेगा, उत्

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