भारतीय न्याय संहिता
(बीएनएस)
अध्याय 11: लोक प्रशांति के विरुद्ध अपराधों के विषय में
धारा: 189
189. (1) पांच या अधिक व्यक्तियों का जमाव "विधिविरुद्ध जमाव" के रूप में नामनिर्दिष्ट है, यदि उन व्यक्तियों का, जिनसे वह जमाव गठित हुआ है, सामान्य उद्देश्य हो--
(क) केंद्रीय सरकार को, या किसी राज्य सरकार को, या संसद् को या, किसी राज्य के विधान- मंडल को, या किसी लोक सेवक को, जब कि वह ऐसे लोक सेवक की विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग कर रहा हो, आपराधिक बल द्वारा, या आपराधिक बल के प्रदर्शन द्वारा, आतंकित करना ; या
(ख) किसी विधि के, या किसी विधिक प्रक्रिया के, निष्पादन का प्रतिरोध करना ; या
(ग) किसी रिष्टि या आपराधिक अतिचार या अन्य अपराध का करना ; या
(घ) किसी व्यक्ति पर आपराधिक बल द्वारा या आपराधिक बल के प्रदर्शन द्वारा, किसी संपत्ति का कब्जा लेना या अभिप्राप्त करना या किसी व्यक्ति को किसी मार्ग के अधिकार के उपभोग से, या जल का उपयोग करने के अधिकार या अन्य अमूर्त अधिकार से, जिसका वह कब्जा रखता हो, या उपभोग करता हो, वंचित करना या किसी अधिकार या अनुमित अधिकार को प्रवर्तित कराना ; या
(ङ) आपराधिक बत्र द्वारा या आपराधिक बल के प्रदर्शन द्वारा, किसी व्यक्ति को वह करने के लिए, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध न हो या उसका ज्लोप करने के लिए, जिसे करने का वह वैध रूप से हकदार हो, विवश करना । स्पष्टीकरण--कोई जमाव, जो इकठ्ठा होते समय विधिविरुद्ध नहीं था, तत्पश्चात् विधिविरुद्ध जमाव बन सकेगा ।
(2) जो कोई उन तथ्यों से परिचित होते हुए, जो किसी जमाव को विधिविरुद्ध जमाव बनाते हैं, उस जमाव में जा
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